मैने पृथ्वी को प्रेम पत्र लिखे
धरती के सीने में उतर कर
मेरे इन पत्रों ने पहुँचाया मेरा प्रेम
और मेरा आभार धरती के हृदय तक
और अब आने लगे हैं
मेरे पत्रों के जवाब
चमकीले, हरे रंगों में।
ये हरे लफ्ज़ हवा में लहराते
सुनाते है पृथ्वी का जवाबी संदेश
कि अभी भी बाकी है गुंजाईश
मिल सकती है माफी
और सुधारे जा सकते हैं रिश्ते,
अगर हम कोशिश जारी रखें।
और अपनी बात भूमि के दिल तक
पहुँचाने वाले हरियल डाकिए की
करते रहें देखभाल।
क्योंकि इसके अलावा कभी
कोई और तरीका ना था,ना है
उस तक पहुंचने का,
उससे बात करने का,
और उसकी बात सुनने का।
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