क्या करते जो पापा होते
क्या कहते जो पापा होते
ये ख्याल आ ही जाता है
बरबस मन में।
या रहता है वहीं
और सर उठा कर
आँख मिलाता है..
जब मैं
अपने बच्चों से कहती हूँ
कि बेटा पैसा खर्च करने और
बरबाद करने में फ़र्क होता है।
या जब मैं
किसी बात से तंग आ कर
खुद से ही कहती हूँ..
हटाओ यार अब
साला बहुत हुआ।
कभी कभी तो
मेरी आवाज़ में,मेरे गले से
निकलने लगते हैं उनके ही शब्द,
उनके ही अंदाज में..
सोचती हूं ये बातें जिन्हें
मैं उनकी समझती हूँ
ये शायद उन्हें उनके पिता
या मां ने कही होंगी।
या उससे भी पहले कहीं से..
पीढ़ी दर पीढ़ी
चली आ रही होंगी।
लोग कहीं जाते नहीं
मर कर भी!
ना जाने कितनी पीढ़ियाँ
जीवित हैं
मेरे मन और ज़हन में।
विरासतें और क्या होती हैं?
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Nice one!
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Very true
Swati
Khupach masta
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