सब कुछ वापस लौटाना होगा।
अग्नि को वापस कर देना
वो अंगार जो मेरे सीने में
सदा सुलगता रहा।
जल वापस चाहेगा
वो सारी करुणा,सारे आँसू
जो रह गए, बिना बहे।
पृथ्वी को लौटाना होगा
धैर्य और आनंद का वह
अक्षय पात्र जो कभी
रीता न हुआ।
पवन के हवाले कर देना
मेरे पूर्ण, अपूर्ण स्वप्न
और शून्य को सौंपना
वह अनंत असारता
जो चौंकाती रही सदा
अपने अस्तित्व से।
जब सारा उधार चुका दोगे
तब क्या बाकी बचेगा मेरा
तुम्हारे पास?
कुछ स्मृतियाँ शेष रह जाएंगी।
धीरे धीरे लेकिन
समय उन्हें भी पोंछ देगा।
फिर भी कभी,
याद आ ही जाए…
तो बस इतना याद रखना
कि कोई एक थी जिसने
धरती के सीने पर
बाकी नहीं छोड़ना चाहा
बोझ एक पदचिन्ह का भी।
स्वाती
20/04/22
बहोत खूब!
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Absolutely fantastic
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Antarman ko aaina dikhata hua ek aur ati uttam prernadayak samwaad… Swati , Dhanyavad 🙂
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