जंगल सफारी में घंटों
जीप में बैठ शेर का इंतजार
करना तपस्या करने जैसा है।
यदि वो प्रसन्न हो जाए
तो हो जाते हैं दर्शन।
पर शेर दिखे या ना दिखे,
कहानियाँ तो बन हो जाती हैं।
कैसे वो उठा,कैसे बैठा
और कैसे उसने
पार किया रास्ता।
या फिर हर जगह थे
उसके कदमों के निशां लेकिन
मुलाकात न होने पाई।
ये कहानियाँ जब बड़ा
रस ले कर दोहराई
जा रही होती हैं, तब
वहीं बगल में सोफे के
दूसरे कोने में एक
असंभव से कोण में
शरीर को मरोड़ कर
करवट बदल कर
सो जाती है एक बिल्ली।
हजारों बार आपने उसे
देखा होता है,
पर हर बार की तरह
इस बार भी
जंगल के शेर को भूल कर
आप फोन निकालते हैं और
सामने अजीबो गरीब
तरीके से बदन मरोड़
कर सोती बिल्ली
के फोटो खींचने का
मोह नहीं छोड़ पाते।
हर शेर एक कहानी है
और ..
हर बिल्ली एक कविता!
स्वाती
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