झब्बू बिल्कल नहीं सुनता
ज़रा भी नहीं।
अक्सर तो वो इसलिए नहीं सुनता
कि वो कोई कुत्ता नहीं है।
कभी इसलिए नहीं सुनता
क्योंकि वो बिल्ली है।
कभी उसका मन नहीं होता।
और कभी कभी उसका
मन होता भी है...
पर वो इसलिए नहीं सुनता
कि वो नहीं चाहता
कि किसी को ये गलतफहमी
हो जाए कि वो सुनता है।
सोचती हूँ कभी तो ऐसा
कर सकने की हिम्मत जुटाऊँ।
अनसुनी कर दूँ सारी पुकारें
या फिर साफ ना कह दूँ ।
लेकिन उसके लिए
बहुत पीछे जाना होगा।
वो जो अच्छे बच्चे
सबकी बात सुनते हैं
वाला सबक खून में
घुल चुका है,पहले तो
उसे भुलाना होगा।
पर उसके बाद भी
मैं,हाँ जी अभी आई
कहती दौड़ पडूँगी,
क्योंकि बिल्लीपन
के साथ जो अकेलापन है
उसका बोझ उठा पाना
हर इंसान के
बस की बात नहीं।
स्वाती
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मजा आ गया. बहोत खूब.
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Hahaha….superb !
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Mastach
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