एक साज़ बिल्लियाना

घुरघुराना,पर्रपर्राना ऐसे नीरस शब्द उस घटना को व्यक्त करने में पूरी तरह नाकाम हैं जब बिल्ली आपके सिरहाने आ कर आपके ही तकिए पर सर रख दे, या फिर आपके सीने पर संतुलित कर खुद को आँखे बन्द कर ले। या जब आप कोई किताब ले हाथ में सोफे पर पसरे हों तब आपको कुछ सरकने पर मजबूर कर अपनी जगह बनाए और फिर तसल्ली से आधी मूंद ले आँखे और आप से टिक कर सो जाए। और फिर आप महसूस करें उस स्पंदन को ... मानों उसकी धमनियों के संगीत पर शरीर का कण कण थिरक रहा हो। वह कुछ पल जब आप पर कर के पूरा भरोसा , एक सुखी संतुष्ट बिल्ली पूरी की पूरी किसी अदभुत बिल्लियाना साज़ की तरह बजने लगे। कुछ नाम देना चाहती हूँ उन स्वर लहरियों को जो किसी धम्मचक्र सी बिना मुंह खोले उसके कंठ से निकलती है और आपका मन मानो सराबोर हो जाता है शांत रस से। फिर सोचती हूँ कि बेहतर यही होगा कि हम उसे कोई नाम ना दें। सिर्फ अहसास है वो, रूह से महसूस करें। स्वाती
Bahot khub ! बिल्ली विश्वविद्यालय एकदम बढिया । काश कोई बिल्ली इसे पढ पाती । अगर पढ पाती तो उसकी भी खुशीयां फुलो न समाती ।
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Wow
100 % agreed
Just Experience itself is sufficient.
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