(कुछ सवाल आइंस्टाईन से)
तुम्हे एक ही ज़िंदगी में मिलते हैं नौ मौके
या अलग अलग नौ बार दुनियाँ में आते हो।
बार बार वहीं लौट कर आते हो या फिर
हर बार नए घर,नए लोग आज़माते हो।
जाने कितने राज़ हैं तुम बिल्ली जात के
सदियों से कैसे तुम उन्हें छिपाते हो?
हम तो इतना भी न जान पाए कभी कभी
तुम यूं ही कुछ देर गायब कैसे हो जाते हो?
तुम्हारा हमारी ज़िंदगी में आना
और फिर चले जाना,
इत्तिफाक था,या तुमने खुद तय किया था
क्या वो तुम्हारी आखरी,नौवीं ज़िंदगी थी,जो
तुमने हमेशा के लिये अलविदा कह दिया था।
स्वाती
Perfect thinker pose.
Nice thought
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दिल को छू गयी ये तो…
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