आईन्स्टाईन

 

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आईंस्टाईन के जाने की कोई वजह ही नहीं थी।

सच तो ये है कि उसके आने की वजह भी कभी मेरी समझ में नहीं आई।

अच्छी भली सफेद, खुबसूरत बिल्ली, परी थी हमारी ज़िंदगी में, वो अचानक ही चल बसी।

और फिर ये महाशय मानों कतार में खड़े इंतज़ार ही कर रहे थे उसके जाने का, उसकी जगह लेने आ पहुँचे।

जिस तरह आया था,उसी तरह चला भी गया।

ना कोई बीमारी, ना कोई बड़ा अपघात।

बस आना ही था इसलिए आ गया था। जाना था, सो चला गया।

मै ऐसा मानना पसंद करती हूँ, कि वो कोई शापित गंधर्व या देवदूत था, जिसे कुछ समय पृथ्वी पर बिताने की सजा मिली थी। उसने खुद ही चुन लिया हमारा घर। आश्चर्य होता था उसे देख कर, कि कोई प्राणी उठते-बैठते, खाते-पीते यहाँ तक कि सोते हुए भी इतना शानदार और गरिमापूर्ण कैसे लग सकता है।

उसे सिर्फ देखते रहना भी कितना खूबसूरत था।जब तक रहा, हमारा हर पल आनंद से भर दिया।उसका समय समाप्त हुआ तो चला गया। बस!!

मुक्त हो गया।

छोड् क्या गया? खालीपन ? क्या जाने वाले सभी एक रिक्त स्थान छोड़ जाते हैं मन में?

ऐसा हरगिज नहीं है।

बल्कि मेरा मन तो खाली था, इन सबके आने से पहले।

साशा, शेरी,टायगर, परी,आईन्स्टाईन, या पप्पा, आई…

इंसान हों या प्राणी, हर एक ने अपनी एक अलग जगह बनाई है मन में।

हर एक का अपना अलग स्थान, लबालब भरा हुआ उसके होने से।

ऐसा स्थान, जिसे दुसरा कोई ले ही नहीं सकता। किसी दुसरे की जगह ही नहीं उस कक्ष में। उसके जाने से जरा भी खाली नहीं हुआ वो कमरा। जैसा का तैसा है। उतना ही भरा हुआ।

उनके जाने का दुख है मुझे, लेकिन यदि ये सब मेरी जिंदगी में आते ही नहीं तो… कितने कुछ से पूर्णत: वंचित रह जाती मैं।

उनके जाने की वेदना निश्चित रूप से है, लेकिन उससे भी कहीं अधिक मैं आभारी हूँ उन सबकी, कि वे मेरे जीवन में आए, और अपना बहुत बड़ा हिस्सा मेरे पास ही छोड़ गये।

उनके जाने से आहत तो हूँ ,लेकिन निराश नहीं हूँ। मुझे ऐसा कतई नहीं लगता की मैं अब किसी से प्रेम नहीं कर पाऊँगी। बल्कि इन सबने मुझे अहसास कराया है, कि मेरे दिल में बहुत जगह है।

दिल सच में अद् भुत  है।

दिल है बाजीगर, ठुमकता है तनी एक डोर पर,

लड्खड़ाता,गिरता,उठता फिर संभलता है मगर डरता नहीं।

अनगिनत यादें, हज़ारों चाहतें और हसरतें,

फिर भी जादू का पिटारा दिल कभी भरता नहीं।

 

जाने वालों का स्थान दूसरा कोई  नहीं लेगा, लेकिन यदि आ ही गया कोई तो बन जाएगी जगह।

अब अनुभव से जानती हूँ, कि दिल बहुत बड़ा है।

स्वाती

५/१०/२०१५

 

 

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