( Jacques Prevert की फ्रेंच कविता ‘pour toi mon Amour’ से रुपांतरित)
कोई बहुत पुरानी नहीं
बस, कुछ ही दिन पहले की बात है ।
हम पहली बार मिले थे।
तुमने दिये थे फूल मुझे,
और कहा था… तुम्हारे लिये प्रिये
कि तुम फूलों सी नाज़ुक हो।
कोई बहुत पुरानी नहीं
बस, कुछ ही दिन पहले की बात है ।
तुमने दिया था एक नन्हा सा पक्षी मुझे,
और कहा था… तुम्हारे लिये प्रिये
कि तुम बुलबुल सी चहकती हो।
कोई बहुत पुरानी नहीं
बस, कुछ ही दिन पहले की बात है ।
हम रोज ही मिलने लगे थे।
तुमने दी सोने की ज़ंजीर मुझे
और बाहों में जकड़ कर कहा था,
तुम्हारे लिये प्रिये,
कि मुझे तुमसे प्यार है।
अब तुम ही हैरान हो……
कि पिंजरे में बैठी बुलबुल
कोई नया गीत क्यों नहीं गाती?
Wah! Kitna khoob aur sachha kaha hai!
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Shadi poem is so realistic
A very true but bitter
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