झंडे सी तनी है ऊपर को, या दाएँ-बाएँ हिलती है, हौले हौले लहराती है, हर हलचल कुछ तो कहती है। हल्का सा इशारा पूँछ का ही हर बात बयाँ कर जाता है, ऑरी को हमारी बोलने की थोड़ी भी जरूरत लगती नहीं। लगता है देख के बिल्ली को है शायर ने ये बात कही, है इल्म की इब्तिदा हंगामा इंतिहा ए इल्म है ख़ामोशी । (इल्म -knowledge, enlightenment इब्तिदा -शुरुवात इंतिहा -अंत) स्वाती
Khupach masta
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